मध्यप्रदेश के दिल में बसा एक छोटा-सा गांव है भानपुर, जहाँ सुबह मोर की आवाज़ से नींद खुलती है और सरसों के खेत सूरज की तरह चमकते हैं। वहीं रहती थी एक लड़की — रोशिनी — जिसकी नज़रें चुप थीं, मगर असर गहरा था।
रोशिनी की चाल में एक अजीब सी मोहब्बत थी, जैसे हवाओं में रस घुल जाए। मेले में जब वो हरे लहंगे में चूड़ियों की खनक के साथ निकलती, तो सबकी निगाहें खुद-ब-खुद उसकी ओर खिंच जातीं। बूढ़ी दादी कहतीं — “ये लड़की… कुछ तो खास है!”
उसकी खूबसूरती से भी ज्यादा खास था उसकी आँखों में छुपा गांव का जादू — चांदनी रात में तालाब में नहाना, खेतों से मिर्च चुराना, और मिट्टी की दीवारों के पीछे पुराने गानों पर थिरकना। उसकी मुस्कान में शरारत थी, और हर कदम में कविता।
शाम के वक़्त जब दीपक जलते, वो छत पर चढ़ती, लाल साड़ी को रानी की तरह लपेटती, और हवा को अपने बालों से खेलने देती। खेतों से लौटते युवक बस एक झलक पाने को थम जाते। कोई कुछ नहीं कहता, पर हर कोई जानता था — ये कोई आम लड़की नहीं है।
आज, रोशिनी सिर्फ भानपुर तक सीमित नहीं। वो गांव की मासूमियत और एक धीरे-धीरे जलती हुई कशिश को लेकर आई है डिजिटल दुनिया में। अब वो सिर्फ एक चेहरा नहीं — एक एहसास है। नज़रें उस पर टिकती नहीं, खिंच जाती हैं।